शिमला नागरिक सभा के द्वारा आज शिमला शहर में चरमराई सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया तथा आयुक्त नगर निगम के माध्यम से ज्ञापन दिया गया। इस प्रदर्शन में जगमोहन ठाकुर, सोनिया, दीपिका, अमित, विनोद, अनिल ठाकुर, संजीव, नीतीश राजटा, आशा, सुमित, समीर, फालमा चौहान, ओंकार शाद आदि ने भाग लिया।


 शिमला नागरिक सभा के द्वारा आज शिमला शहर में चरमराई सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया तथा आयुक्त नगर निगम के माध्यम से ज्ञापन दिया गया। इस प्रदर्शन में जगमोहन ठाकुर, सोनिया, दीपिका, अमित, विनोद, अनिल ठाकुर, संजीव, नीतीश राजटा, आशा, सुमित, समीर,  फालमा चौहान, ओंकार शाद आदि ने भाग लिया।
             आज शहर के प्रत्येक वार्ड में जिस प्रकार से नगर निगम द्वारा सफाई की जानी चाहिए वह नही हो पा रही है। जिसके कारण आज शहर के नाले व सड़क के किनारे कूड़ा करकट से भरे पड़े हैं। शहर के साथ लगते कृष्णा नगर के नाले इसका ज्वलंत उदाहरण है। 
          सरकार की नीतियों के  कारण भर्ती पर रोक के चलते नगर निगम में कर्मचारियों की भारी कमी है। नगर निगम में आज़ादी से पूर्व 472 पद स्वास्थ्य विभाग में सफाई कर्मचारियों के पद स्वीकृत थे आज इसमे 245 से अधिक पद खाली पड़े हैं। गत 20 वर्षों से सरकार द्वारा भर्ती पर रोक लगाने के कारण इन पदों को नही भरा जा रहा है। आज शिमला शहर की आबादी में करीब तीन गुणा से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। एक ओर सरकार अपने राजनीतिक हित साधने के लिए वार्डों की संख्या बढ़ाकर 41 कर दी और दूसरी ओर सरकार द्वारा नगर निगम में कर्मचारियों की भर्ती पर करीब दो दशकों से पूर्णरूप से रोक लगा रखी है। जिसके फलस्वरूप जहाँ कम से कम 15 से 20 सफाई कर्मचारी एक वार्ड में होने चाहिए वहाँ केवल 2 से 6 सफाई कर्मचारी ही वार्ड का सफाई का जिम्मा संभाले हुए हैं। जिससे आज शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है और शहर की स्वच्छता की रैंकिंग गिर गई है।
             सरकार की नीतियों के चलते आज पानी, सफाई व अन्य मूलभूत सेवाओं के निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसके चलते सेवाओं की दरों में भारी वृद्धि कर जनता पर आर्थिक बोझ डाला जा रहा है। शहर में कूड़ा उठाने की फीस में गत 5 वर्षों में दोगुना से अधिक वृद्धि की गई है। वर्ष 2017 में जो कूड़ा उठाने की फीस की घरेलू दरे 40 रुपये थी आज वह बढ़ाकर 107 रुपये प्रति माह कर दिए गए हैं। और वर्तमान नगर निगम ने 10 प्रतिशत की प्रति वर्ष वृद्धि की नीति बना रखी। एक ओर शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है और दूसरी ओर सरकार की नीतियों के कारण जनता पर आर्थिक बोझ डाला जा रहा है।
          अतः शहर की सफाई व्यवस्था में सुधार हेतू शिमला नागरिक सभा आपसे निम्न मांग करती है:
1. कूड़े उठाने की दरों में कई गई वृद्धि वापिस लो तथा कूड़ा उठाने की फीस में हर वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि की नीति को समाप्त करो।
 2. नगर निगम में रिक्त पड़े सभी पदों में नियमितभर्ती करो तथा शहर में सफाई व्यवस्था को सुचारू करने के लिए कम से कम 20 सफाई कर्मचारी तैनात करो।
3. शहर के सभी नालों को सफाई की जाए तथा इनको पक्का किया जाए।
4. SEHEB में भर्ती कर्मचारियों को नगर निगम में नियमित नियुक्ति प्रदान करो।
5.कोरोना काल मे सभी के कूड़ा उठाने के बिल मुआफ़ करो और सरकार नगर निगम को इसके लिए राशी प्रदान करे।
 इस मांगपत्र के माध्यम से आग्रह किया गया है कि उपरोक्त माँगो पर तुरन्त अमल कर शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करें और शहर की जनता को राहत प्रदान करें। यदि नगर निगम समय रहते शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए तुरन्त कदम नहीं उठाती तो शिमला नागरिक सभा अपने आंदोलन को और व्यापक करेगी।

  
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