फूलगोभी की गिरती कीमतों पर हिमाचल किसान सभा ने आज प्रदेश के कृषि मंत्री को ई-ज्ञापन सौपा... शिमला से कपिल ठाकुर की रिपोर्ट


फूलगोभी की गिरती कीमतों पर हिमाचल किसान सभा ने आज प्रदेश के कृषि मंत्री को ई-ज्ञापन सौंपा जिसमें मांग की है कि किसानों को फृलगोभी की लागत कीमत तो सुनिश्चित करवाए सरकार। अन्यथा आज किसान को फुलगोभी की तैयार फसल को 2 से 3 रुपये प्रति किलो पर बेचने के बजाय खेत में ही सड़ने देने, पशुओं को खिलाने व गोबर में डालने पर मजबूर होना पड़ रहा है। हालांकि यह कोई पहली मर्तबा नहीं है, सरकार की किसान पक्षीय ठोस नीतियां न होने से ऐसा किसानों के साथ आए दिन होता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसान कितनी परेशानियों व मानसिक तनाव से गुजरता है? 
हिमाचल किसान सभा ने ई-ज्ञापन के माध्यम से सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है। इस महामारी के दौर में जहां एक ओर सरकार को किसानों को प्रकृति की मार से ओलावृष्टि से हुए नकसान, मण्डियों तक सही प्रकार से माल न ला पाने से हो रहे नुकसान, बेमौसमी बारिश से फसलों के खराब होने से हुए नुकसान की भरपाई करनी चाहिए थी। लेकिन गाढ़ी मेहनत से पैदा की गई फसलों के न्युनतम दाम भी इस तंत्र में आज किसान को नहीं मिल रहे हैं।
कृषि मंत्री को सौंपा गया ई-ज्ञापन संलग्न है।

सत्यवान पुण्डीर
राज्य वितसचिव

हिमाचल किसान सभा HKS
किसान-मजदूर भवन, नजदीक चितकारा पार्क, लोअर कैथू, शिमला, हि0प्र0

क्र0 एचकेएस-5/2021 12 मई, 2021

सेवा में
कृषि मंत्री
हिमाचल प्रदेश सरकार

विषयः 2 से 3 रुपये प्रति किलो बिक रही फूलगोभी को किसानों से न्युनतम लागत मूल्य पर खरीदने की मांग बारे।

महोदय,

हिमाचल प्रदेश, देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में अपने बे-मौसमी सब्जी उत्पादन के लिए विशेष पहचान बनाने के लिए जाना जाता है। इस मौसम विविधता का लाभ उठाते हुए प्रदेश के सब्जी उत्पादक किसान अपनी लघु एवं सीमांत किसानी होने के बावजूद भी बेमौसमी सब्जियों का अच्छा उत्पादन करते हैं। इसीलिए प्रदेश में सब्जियों का उत्पादन परम्परागत फसलों तथा फलों की बनीस्पत सर्वाधिक है जो करीब 16 लाख मिटिक टन वार्षिक होता है। पिछले लगभग ढाई दशकों से हिमाचल के किसानों का झुकाव परम्परागत फसलों से बेमौसमी सब्जियों की तरफ बढ़ा है और आज ये सब्जियां यहां के किसानों के लिए बेहतर आमदनी का एक महत्वपूर्ण जरिया बनने की भी सम्भावनाएं पैदा कर रही हैं।
यह उल्लेखनीय है कि किसानी के प्रति उदासीनता का परिचय देती सरकारी नीतियों का खामियाजा प्रदेश के किसानों को लम्बे अर्से से झेलना पड़ रहा है जिसके कारण आज की युवा पीढ़ी के लिए खेती करना लाभकारी कार्य नहीं रह गया है। आज की युवा पीढ़ी का कृषि की ओर कोई आकर्षण नहीं है। इसका मुख्य कारण कृषि क्षेत्र में लगातार घटता सरकारी निवेष तथा अनदेखी व हस्तक्षेप की कमी रही है। परिणामस्वरूप आज किसानों को देशभर में अपने कृषि उत्पाद के लिए न्युनतम समर्थन मुल्य के लिए जबरदस्त संघर्ष करना पड़ रहा है।

बेहद चिंतनीय है कि हम इस वैश्विक कोविड महामारी की दूसरी और भयंकर जानलेवा लहर की चपेट से गुजर रहे हैं। ऐसे में अपने नागरिकों की हर प्रकार से सुरक्षा की जिम्मेवारी किसी भी सरकार की प्राथमिकता के तौर पर रहनी चाहिए। लेकिन किसानी के लिए लाभकारी नींतियों की कमी तथा कृषि उत्पाद को बाजार के हवाले करने से किसानों को आमतौर पर अपनी उपज का लाभ तो दूर, लागत मूल्य भी नहीं मिल पाता। इस कारण कृषि लगातार घाटे का सौदा बनता जा रहा है। अथवा यह मात्र जिंदा रहने की लड़़ाई बनकर रह गई है।

जिस प्रकार का हष्र आजकल फुलगोभी की तैयार फसल के साथ हो रहा है, निःसंदेह किसान इसे या तो खेत में ही सड़ने के लिए छोड़ने या गोबर के बीच फैंकने को मजबूर हो गया है। जिस फुलगोभी को किसान 10-12 रुपये प्रति किलो की लागत कीमत पर तैयार करता है और बाजार में उसके लिए प्रति किलो 2 से 3 रुपये के दाम मिलते हों तो ऐसे में किसानों की मनोःस्थिति व दुर्दशा का अनुमान बखूबी लगाया जा सकता है। जबकि उपभोक्ताओं को बाजार में यही फुलगोभी 30 रुपये प्रति किलो के भाव से मिल रही है।
हिमाचल किसान सभा प्रदेश सरकार से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप की मांग करती है तथा तुरंत प्रभाव से फुलगोभी तथा कुछ ही समय में तैयार होने वाली अन्य सब्जियों (टमाटर, बंदगोभी, मटर, फ्रांसबीनद्) आदि के लिए न्युनतम समर्थन मूल्य की दर पर खरीद को सुनिश्चित किया जाए। किसान सभा प्रदेश सरकार से अपील करती है कि महीनों की किसानों की मेहनत से खिलवाड़ न किया जाए तथा वाजिब दाम पर खरीद सुनिश्चित की जाए।

हिमाचल किसान सभा का मानना है कि सरकार को इस परिस्थित में वैकल्पिक उपायों को भी बढ़ावा देना चाहिए। सब्जियों की स्थानीय खपत के मददेनजर प्रदेश के 50 से अधिक शहरी इकाईयों के स्तर पर विभाग, विपणन बोर्ड व एपीएमसी के माध्यम से बाजार की व्यवस्था मुहैया करवाई जाए ताकि गांव के किसान मिलकर अपने उत्पाद को बेच सकें।



डाॅ कुलदीप सिंह तंवर
राज्याध्यक्ष        

सत्यवान पुण्डीर                          राज्य वितसचिव


प्रतिलिपि: सूचनार्थ एवं आवष्यक कार्यवाही हेतु:
1 प्रधान सचिव, कृषि विभाग, हिमाचल प्रदेश।
2 निदेशक, कृषि विभाग, हिमाचल प्रदेश।
3 अध्यक्ष, राज्य कृषि एवं विपणन बोर्ड, हिमाचल प्रदेश।
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