भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की जिला कमेटी की बैठक सम्पन्न हुई इसमे विभिन्न मुद्दों जिसमें मुख्यतः प्रदेश व जिला की राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक परिस्थिति के साथ सांगठनिक पहलू पर भी चर्चा की गई। बैठक में चर्चा कर यह निष्कर्ष निकला कि सरकार द्वारा लागू की जा रही नीतियों के कारण प्रदेश में महंगाई, बेरोजगारी, कृषि व बागवानी का संकट बड़ा है। सरकार बढ़ती महंगाई पर रोक लगाने में पूर्णतः विफल रही है। आज पेट्रोल की कीमत 100 रुपये पार कर गई है और रसोई गैस के सिलिंडर की कीमत भी 900 रुपये पार कर गई है। खाद्य तेल की कीमतों में भी भारी उछाल है और सरसों का तेल 200 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया है। बिजल, पानी, बस किराया, कूड़ा उठाने की फीस, प्रॉपर्टी टैक्स व अन्य सेवाओं की दरों में भारी वृद्धि की जा रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य सेवाओं की स्थिति चरमरा गई है तथा सरकार इनको महंगा कर निजी हाथों में सौंप रही है। सरकार ने लगभग सभी क्षेत्रों में भर्ती पर रोक लगा रखी है तथा जो भी भर्ती की जा रही है वह ठेका, आउटसोर्स व पार्ट टाइम के आधार पर की जा रही है। कोविड19 के दौरान प्रदेश में बेरोजगारी में वृद्धि हुई है। लॉकडाउन व कोरोना कर्फ्यू के कारण रोजमर्रा मेहनत कर ध्याड़ी मजदूरी कर कमाने वाले, पर्यटन व इससे जुड़े अन्य व्यवसाय जैसे परिवहन, छोटा दुकानदार व कारोबार, तहबाजारी व अन्य कारोबार करने वाले बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। सरकार ने कोविड19 के दौरान इनको कोई भी राहत देने के लिए कोई कार्य नहीं किया है। जिससे बेरोजगारी व्यापक रूप से बड़ी है। इससे जनता के रोजी रोटी का संकट बड़ा है
प्रदेश सरकार कोविड19 की दूसरी लहर में इससे निपटने में पूर्ण रूप से विफल रही है तथा सरकार द्वारा किये गए आधे अधूरे इंतजाम से प्रदेश में बहुत बड़ी संख्या में लोग कोविड19 से संक्रमित व इससे मौते हुई। दूसरी लहर में करीब तीन माह में ही 1,44000 के करीब लोग संक्रमित हुए व 2480 लोगों की मौत हुई। जोकि पहली लहर से दोगुना से अधिक संख्या है। बैठक में सरकार से मांग की गई कि तुरन्त प्रदेश व जिला में चरमराई स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए ठोस कदम उठाए ताकि भविष्य में आने वाली कोविड19 की तीसरी लहर में संक्रमण के प्रभाव को कम किया जा सके व मौतों को रोका जा सके। इसके साथ ही सरकार अपने किये गए वायदे के अनुसार कोविड 19 से मृतकों के परिजनों को आपदा प्रबंधन कानून की धारा 12(iii) के अनुसार 4 लाख रुपये राहत राशि प्रदान करे व कोरोना योद्धाओं जिनमे स्वास्थ्य कर्मियों, सफाई कर्मचारी व अन्य कर्मचारी सम्मिलित हैं की मृत्यु पर जो 50 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान करने की घोषणा की थी उसे तुरन्त पूर्ण कर यह सहायता राशि इनके परिजनों को प्रदान करे। आशा वर्कर ने भी कोविड19 के समय में बहुत ही सरहानीय कार्य किया है परन्तु सरकार न तो समय पर इनको इनका मानदेय दे रही है और जो सरकार ने इनके लिए प्रोत्साहन राशि की घोषणा की थी वह भी अभी तक नहीं दी गई है। सरकार इनका देय मानदेय व सहायता राशि तुरन्त प्रदान करे।
सरकार कोविड19 के कारण जनता को राहत प्रदान करने में पूरी तरह से विफल रही है। राहत के नाम पर किसी भी प्रकार की सहायता सरकार ने जनता को प्रदान नहीं की है। इसके विपरीत बाज़ार में महंगाई चर्म पर पहुंच गई है और प्रदेश सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत डिपो में राशन की कीमतों विशेष रूप से खाद्य तेल में भारी वृद्धि की गई है। डिपो में 103 रुपये प्रति लीटर मिलने वाला सरसों का तेल अब 160 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है। सरकार की नीतियों के कारण महंगाई से जनता बुरी तरह से त्रस्त हो गई है। सरकार इस वृद्धि को वापिस ले तथा राहत के रूप में जरूरतमंद व अन्य गरीब को 10 किलो राशन इसके साथ दाल, चाय, तेल व अन्य जरूरी खाद्य वस्तुएं आगामी 6 माह तक मुफ्त में उपलब्ध करवाए।
सरकार व नगर निगम शिमला द्वारा कोविड19 के दौरान क़रीब डेढ़ वर्ष में कोई भी राहत जनता को नहीं दी गई है। इस दौरान बिजली, पानी, कूड़ा उठाने की फीस, प्रॉपर्टी टैक्स व अन्य सेवाओं की दरों में भारी वृद्धि की गई है। जबसे बीजेपी नगर निगम शिमला में आईं हैं तो कूड़े उठाने की फीस व बिजली की दरों में 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की है। बैठक में चर्चा कर मांग की गई कि सरकार व नगर निगम बिजली, पानी, प्रॉपर्टी टैक्स, कूड़ा उठाने व अन्य सेवाओं की दरों में की गई वृद्धि तुरन्त वापिस ले तथा कोविड19 के दौरान लॉक डाउन व कोरोना कर्फ्यू के समय के कूड़ा उठाने की फीस व अन्य सेवा शुल्क मुआफ़ कर जनता को राहत प्रदान करे।
बैठक में सेब व अन्य फलों तथा फसलों के लिए इस्तेमाल होने वाले कार्टन की कीमतों में 25 से 30 प्रतिशत की भारी वृद्धि पर चिंता व्यक्त गई है। गत वर्ष जो कार्टन 45 से 55 रुपये में मिल रहा था वह अब 55 से 75 रुपये में मिल रहा है। इसके साथ ही सरकार जो सब्सिडी पर बागवानी व कृषि विभाग के माध्यम से खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक व अन्य लागत वस्तुएं उपलब्ध करवाती थी वह भी बन्द कर दी है। जिसके कारण आज किसानों व बागवानों को कम गुणवत्ता वाली महंगी लागत वस्तुएं बाज़ार से खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इससे गरीब व छोटे किसान व बागवान बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। सरकार से मांग की गई कि कृषि व बागवानी क्षेत्र में बंद की गई सब्सिडी को तुरन्त बहाल करे तथा कार्टन व अन्य वस्तुओं की कीमतों में तुरन्त कमी कर किसानों बागवानों को राहत प्रदान करे।
इस वर्ष भारी ओलावृष्टि, वर्षा व असामयिक बर्फबारी से सेब व अन्य फलों व फसलों को भारी नुकसान हुआ है। सरकार ने एक सरसरी आंकलन किया है जिसमे केवल 280 करोड़ रुपये का नुकसान आंका गया है। वास्तविक रूप में यह नुकसान कहीं अधिक है। जिला शिमला में केवल सेब की ही 60 प्रतिशत से अधिक फसल का नुकसान इससे हुआ है जबकि अन्य गुठलीदार फलों, सब्जियों व फसलों का भी भारी नुकसान हुआ है। पार्टी मांग करती है कि सरकार इसका उचित आंकलन कर प्रभावित किसानों व बागवानों को उचित मुआवजा तुरन्त प्रदान करे।
पार्टी NPS कर्मचारियों के द्वारा पुरानी पेंशन की बहाली के लिए चलाए जा रहे आंदोलन का भी समर्थन करती है तथा सरकार से मांग करती है कि इनकी मांगो को मान कर पुरानी पेंशन को बहाल करे। केंद्र सरकार द्वारा 5 मई, 2009 की अधिसूचना को प्रदेश में तुरन्त प्रभाव से लागू करे।
पार्टी छात्रों व अभिभावकों द्वारा निजी स्कूलों में फीस नियंत्रण कानून बनाने के लिए चलाए जा रहे आंदोलन का समर्थन करती है। सरकार निजी स्कूलों की फीस नियंत्रण के लिए तैयार किये गए बिल को अंतिम रूप देकर इस पर तुरंत कानून बनाए तथा छात्रों व अभिभावकों को राहत प्रदान करे।
बैठक में निर्णय लिया गया कि बीजेपी सरकार की इन जनविरोधी नीतियों को बदलने के लिए जनता को लामबंद कर आंदोलन चलाया जाएगा और इन नीतियों की विरुद्ध चलाए जा रहे मजदूरों, किसानों, छात्रों, युवाओं, कर्मचारियों व अन्य वर्गों के आंदोलनों के समर्थन किया जाएगा।
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