भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की ज़िला कमेटी का मानना है कि नगर निगम शिमला द्वारा पेश किया गया बजट आम जनता पर बोझ डालने वाला बजट है और पार्टी इसका विरोध करती है। बीजेपी शासित नगर निगम सत्ता में जबसे आई है तबसे ही पानी, बिजली, प्रॉपर्टी टैक्स, कूड़ा इकट्ठा करने की फीस आदि सभी सेवाओं को महंगा कर जनता पर आर्थिक बोझ डालने का कार्य किया है। सरकार के दबाव में आकर नगर निगम ने पहले ही पानी, कूड़ा इकट्ठा करने की फीस, प्रॉपर्टी टैक्स आदि की दरों में 10 प्रतिशत की हर वर्ष वृद्धि का निर्णय लिया है जिससे आज आर्थिक संकट से जूझ रही जनता पर और अधिक आर्थिक बोझ पड़ेगा। इस संकट काल में जनता जहाँ नगर निगम से और राहत की उम्मीद कर रही थी वहीं जनता को कोई राहत देने के बजाए बिजली पर सेस व अन्य मदों को बढ़ाकर जनता पर और अधिक करों का बोझ डाल दिया है। एक ओर केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों के कारण पेट्रोल, डीज़ल, गैस, राशन, खाद्य वस्तुओं व अन्य आवश्यक सेवाओं में वृद्धि से जनता पहले ही त्रस्त है अब नगर निगम द्वारा टैक्स व करों का बोझ डालकर जनता की क़मर तोड़ दी है। यह नगर निगम का बजट भी बीजेपी की देश मे लागू की जा रही जनविरोधी आर्थिक नीतियों के अनुरूप ही है।
इस पेश किये बजट का यदि आर्थिक रूप से आंकडो का विश्लेषण किया जाए तो नगर निगम अपनी वास्तविक आय बढ़ाने में पूर्णतः विफल रही है। गत वर्ष के मुकाबले में प्रॉपर्टी टैक्स में 10 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद एकत्रीकरण में गिरावट आई है। सरकार अपनी संपत्तियों का सही रूप से इस्तेमाल नहीं कर पाए हैं पार्किंग व अन्य संपत्तियों से प्रस्तावित बजट से 75 प्रतिशत भी एकत्र नहीं कर पाई जिससे निगम की आय में बड़ी गिरावट आई है। इस बजट में नगर निगम ने सही रूप से न पेश कर केवल सरकार की अम्रुत, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट आदि फ्लैगशिप योजनाओं व पेयजल कंपनी की आय को ही बजट में डालकर इसमें वास्तविक स्तिथि न दर्शा कर इसको दिशाहीन किया है।
आज बीजेपी शासित नगर निगम गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। आज कर्मचारियों तक को वेतन भत्ते देने व रोजमर्रा का खर्चा करने के लिए भी नगर निगम के पास साधन उपलब्ध नहीं है। नगर निगम केवल विकास के पैसे से आज कर्मचारियों को वेतन भत्ते दिए जा रहे हैं। नगर निगम न तो नए संसाधन बना पाई है बल्कि अपने संसाधनों का बिल्कुल भी सही उपयोग नहीं कर पाई है। जिससे नगर निगम की आर्थिक दशा बदतर हो गई है। आज जो योजनाए व संसाधन पूर्व नगर निगम ने बनाए थे उन्हें भी लागू नहीं कर पाई है। सरकार ग्रीन फीस, पार्किंग जिसमे टूटीकंडी पार्किंग व अन्य पार्किंग, रोपवे आदि जिससे नगर निगम के संसाधनों में वृद्धि होनी थी को भी आगे नहीं बढ़ा पाई है। इससे नगर निगम की आय बढ़नी थी। परन्तु नगर निगम इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है इसके विपरीत नगर निगम के संसाधनों का निजीकरण कर इनको बेचने का कार्य कर रहा है।
सीपीएम मांग करती है कि पानी, बिजली सेस, कूड़े उठाने की फीस, प्रॉपर्टी टैक्स व अन्य सेवाओं की दरों में कई गई वृद्धि तुरंत वापिस ले। पार्टी शहर की जनता से अपील करती है कि नगर निगम की इन जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध संगठित होकर इनको बदलने के लिए संघर्ष करें। पार्टी 1 मार्च, 2021 को सरकार व नगर निगम की जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध प्रदर्शन करेगी।
संजय चौहान
ज़िला सचिव
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी)
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