भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की शिमला जिला कमेटी की बैठक सम्पन्न हुई। इसमे ज़िला के राजनीतिक व अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई। इस बैठक में हाल ही हुए शहरी नगर निकाय व पंचायत चुनाव पर चर्चा की गई। इन चुनावों में जनता ने बीजेपी की सरकार द्वारा लागू की जा रही नीतियों के विरुद्ध अपना मत दिया है। सरकार ने इन चुनावों में सत्ता व अन्य दबाव तथा प्रलोभन का इस्तेमाल किया बावजूद इसके जनता ने बीजेपी के समर्थित उम्मीदवारों को नकारा है। जिसका ज्वलंत उदाहरण शिमला ज़िला परिषद में 24 सदस्यों में से बीजेपी समर्थित केवल 4 ही सदस्य जीत पाए हैं।
इस बैठक में प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी चर्चा की गई है। प्रदेश की बीजेपी की सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण आज प्रदेश कर्ज का बोझ निरन्तर बढ़ रहा है और यह कर्ज 60000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। केंद्र व प्रदेश में दोनों ही जगह बीजेपी की सरकार है परन्तु सरकार कोई भी सहायता केंद्र सरकार से नहीं ला पा रही है। केंद्र सरकार की GST को लेकर नीति व 15 वें वित्तायुक्त की सिफारिशों से केंद्र सरकार से मिल रहे हिस्से में भी निरन्तर कटौती की जा रही है। आने वाले समय में प्रदेश में आर्थिक संकट बढ़ेगा। सरकार इस परिस्थिति में निरन्तर लोगों पर महंगाई बढ़ाकर आर्थिक बोझ डालने का काम कर रही है। पेट्रोल, डीज़ल, व गैस के साथ साथ पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, बस किराया, राशन की कीमतों में निरन्तर वृद्धि कर जनता पर आर्थिक बोझ डाल रही है। आवश्यक वस्तुओं अधिनियम व महंगाई, जमाखोरी व मुनाफाखोरी को रोकने के लिए जितने भी नियम व आदेश थे उन्हें समाप्त कर खुला बाज़ार खुला व्यापार की नीति को बढ़ावा देकर जनता पर महंगाई की मार दे रही हैं। सरकार इन सेवाओं का निजीकरण कर इनको निजी हाथों में देने का कार्य कर रही है। इससे जनता का संकट और बढ़ेगा।
बैठक में तीन कृषि कानूनों को रद्द करने, सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मुल्य के तहत लाने व इसके लिए खरीद केंद्र खोलने तथा बिजली संशोधन विधेयक को वापिस लेने के लिए दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन करने का निर्णय भी लिया गया है तथा प्रदेश में भी सभी फसलों, सब्जियों, फलों जिसमे मुख्यतः सेब, टमाटर, गोभी आदि भी है के लिए भी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के लिए आंदोलन तेज किया जाएगा। इसके साथ ही सरकार के कृषि व बागवानी के लिए मिलने वाली सब्सिडी को समाप्त करने के निर्णय का भी विरोध किया गया तथा इसे तुरंत बहाल करने की मांग की गई अन्यथा सरकार की इन नीतियों के विरुद्ध किसानों को संगठित कर आंदोलन किया जाएगा।
बैठक में सरकार के द्वारा सरकारी विभागों में भर्ती पर रोक तथा भर्तियां ठेका व पार्ट टाइम की नीति के आधार पर करने के निर्णय का भी विरोध किया गया तथा भर्ती नियमित आधार पर करने की मांग की गई। बीजेपी सरकार द्वारा देश व प्रदेश में लागू की गई नई पेंशन योजना(NPS) के निर्णय का भी विरोध किया गया तथा सरकार से मांग की गईं कि तुरंत सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना(OPS) के अंतर्गत पेंशन प्रदान की जाए। पार्टी पुरानी पेंशन योजना के कर्मचारियों के आंदोलन का भी समर्थन करती है।
बैठक में निर्णय लिया गया कि केंद्र व राज्य सरकार की बेरोजगारी व महंगाई बढ़ाने वाली नीतियों, तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने, सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने, केंद्र सरकार का संविधान न नागरिकों के अधिकारों पर हमले के विरोध में तथा सेवाओं के निजीकरण के विरुद्ध 28 फरवरी, 2021 तक अभियान चलाएगी तथा 1 मार्च,2021 को शिमला शहर व सभी ब्लॉको पर आंदोलन किया जाएगा। इसके साथ ही निर्णय लिया गया कि 9 मार्च, 2021 को आंगनवाड़ी तथा 17 मार्च को सीटू द्वारा अपनी मांगों को लेकर विधानसभा चलो के आह्वान का भी समर्थन करती है। 15 मार्च, 2021 को हिमाचल किसान सभा द्वारा तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने व सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) घोषित करने तथा खरीद केंद्र खोलने व अन्य मांगों को लेकर 15 मार्च, 2021 को ब्लॉक स्तर पर किये जा रहे आंदोलन का भी समर्थन करती है।
सीपीएम जनता से अपील करती है कि सरकार की इन जनविरोधी बेरोजगारी को बढ़ावा देने व आर्थिक बोझ डालने वाली नीतियों के विरुद्ध संगठित होकर इन नीतियों का विरोध करे।
संजय चौहान
ज़िला सचिव
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी)
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