सत्ता में आने के बाद भाजपा के लिए मंहगाई की परिभाषा बदल गई है। इसी का परिणाम है कि विपक्ष में रहते हुए भाजपा के जो नेता सडक़ों पर प्याज की माला और सिलैंडर के कट आउट लेकर उतरते थे, उन्हे आज मंहगाई के चरम पर पहुंच जाने के बाद भी अहसास नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि डिपूओं में मिलने वाली दालों और तेल की किमतों में की गई वृद्धि के बाद भी खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री राजिन्द्र गर्ग का यह कहना कि कांग्रेसी ओछी राजनीति कर रही है, सहीं नही है। प्रदेश कांग्रेस के सचिव सुंशात कपरेट ने कहा कि विभागीय मंत्री को पहले डिपूओं में मिलने वाली दालों व अन्य खाद्ध वस्तुओं के दामों की पूरी जानकारी जुटा लेनी चाहिए और कांग्रेस को कोसना छोड़ उनके दामों में कमी करने के प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट काल में जहां आम आदमी दो वक्त की रोटी के लिए जुझ रहा है वहीं सरकार डिपूओं में मिलने वाले सस्ते राशन के दाम बढ़ाकर उनकी कमर तोडऩे में लगी हुई है।कपरेट ने कहा कि जब सरकार को कोई राहत नहीं दे सकती है तो जनता पर मंहगाई भी न थोपे। उन्होंने कहा कि खाद्य आपूर्ति मंत्री को कांग्रेस नेताओं पर हर पल मंहगाई का राग अलापने से पहले उस समय को भी याद कर लेना चाहिए था जब भाजपा के नेता विपक्ष में रहते कुछ मूल्य वृद्धि होने पर भी सडक़ों पर उतर जाती थी जबकि आज संकट काल में जब मंहगाई आसमान छू रही है तो उसे वह नजर ही नहीं आ रही।
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